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रांची/डेस्क: कोविशिल्ड को लेकर एक बड़ी खबर आई है,विशेषज्ञों के द्वारा बताया जा रहा है कि इसके कुछ रेयर साइड इफेक्ट्स भी हैं. एस्ट्राजेनेको जो ब्रिटेन की एक फार्मा कंपनी है उन्हौनें भी स्वीकारा कि उनकी कोविड-19 वैक्सीन से कुछ साइड इफेक्ट हो सकती है. इसी बीच कोविशिल्ड वैक्सीन को लेकर विशेषज्ञों की कई राय सामने आ रहीं हैं. भारत के सीरम इंस्टीट्युट जो कि ब्रिटेन की फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेको के फार्मुले का प्रयोग कर काविशिल्ड वैक्सीन को बनाया था. ब्रिटेन की मीडिया के अनुसार इसी कंपनी के उपर कुल 51 मुकदमें दर्ज है.दर्जनों आरोप ऐसे है जिसमें बताया गया है कि इस वैक्सीन से कई लोगों की जानें भी गई हैं. कई लोग गंभीर रुप से ग्रसित भी हैं.
टीटीएस बीमारी कितना है जानलेवा ?
टीटीएस एक दुर्लभ बीमारी है जिससे शरीर में खून के थक्के बनने लगते हैं, साथ ही प्लेटलेट्स की भी संख्या धीरे धीरे कम होने लग जाती है. वैक्सीन के बाद भारत में टीटीएस बीमारी की कोई मामला सामने अभी तक नहीं आया है. सिर्फ अलग अलग जगहों पर रिपोर्ट दर्ज की गई है. जबकि इस वैक्सीन की लाखों खुराक लोगों को दी जा चुकी है. इसी को देखते हुए डॉक्टरों का कहना है कि कोविड टीकाकरण के बाद टीटीपी का होना अत्यंत दुर्लभ है. युरोपीय संघ में अभी तक कुल 1.7 करोड़ लोगों को टीका दिया जा चुका है जबकि पिछले कुछ दिनों में 40 से भी कम मामला इस बीमारी को लेकर सामने आया है. इंडिया टूडे ने भारत के उन डॉक्टरों से बात की जिन्हौने इस कोविशिल्ड वैक्सिन के बारे में गहनता से अध्ययन किया है. हैदराबाद के अपोलो हॉस्पीटल के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ सुधीर कुमार ने बात-चीत के दौरान कहा "एस्ट्रजेनेको ने कोर्ट में स्वीकार किया है कि कोविशिल्ड और वैक्सजेवरिया ब्रांड नामों के तहत बेची जाने वाली उनकी वैक्सीन के टीटीएस (थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम विद थ्रोम्बोसिस) नामक साइड इफेक्ट्स होने की संभावना बहुत ही कम है."
कौन सा टीका है बेहतर कोविशील्ड या कोवैक्सीन ?
डॉक्टरों का मानना है कि एक टीका को दूसरे टीका से बेहतर या खराब बताने का कोई उचित डेटा उपलब्ध नहीं है. वहीं टीटीएस बीमारी एक ऐसी बीमारी है जिसे हर तरह के टीकों से जोडकर देखा गया है. इन्फ्लूएंजा वैक्सीन, न्यूमोकोकल वैक्सीन, एच1एन1 टीकाकरण और रेबीज वैक्सीन के साथ भी टीटीएस बीमारी को लेकर के रिपोर्ट किया जा चुका है. डॉ साइरिएक एबी फिलिप्स हेपेटोलॉजिस्ट जो कि लीवर के डॉक्टर के नाम से प्रसिद्ध हैं इन्होनें सोशल मिडीया प्लेटफार्म में बताया कि 'कोविड टीकाकरण की वजह से युवाओं के दिल के रोगों से मरने के लिए कोई पुख्ता डेटा नहीं है. यह विज्ञान-विरोधी समुदाय द्वारा फैलाया गया पुरानी एंटी-वैक्सीन प्रोपेगेंडा है.