अयोध्या में छह दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद के ढहाए जाने और राम मंदिर निर्माण मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में हो रही सुनवाई अब अपने अंतिम दौर में है। दशहरा पर्व के दौरान पड़ी छुट्टियों के बाद सोमवार से सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ 38वें दिन मामले की फिर सुनवाई कर रही है। इसमें खास बात यह है कि आने वाले सप्ताह में होने वाली यह सुनवाई बीते एक महीने से चले आ रहे असमंजस को समाप्त करने में निर्णायक साबित होगा। इन चार बातों से समझिए कैसे...
अंतिम सप्ताह अहम: राजनीतिक तौर पर काफी संवेदनशील रहा बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि मामला अब सोमवार से अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ गया है। दशहरे की लंबी छुट्टी के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है। पांच जजों की संविधान पीठ मामले की रोजाना सुनवाई कर रही है। गत छह अगस्त से सुनवाई कर रही पीठ ने अब 17 अक्तूबर तक सभी पक्षों को दलीलें पेश करने की समय सीमा तय की है। ऐसे में सभी पक्षों की अंतिम दलीलें पेश करने के लिए यह हफ्ता काफी अहम है।
एक आखिरी जोरदार प्रयास: सुनवाई कर रही पीठ ने मुस्लिम पक्ष को सोमवार 14 अक्तूबर को अंतिम दलीलें पेश करने को कहा था। वहीं हिंदू पक्ष को अपना जवाब देने के लिए अगले दो दिन यानि 16 अक्तूबर तक का समय दिया है। इसके बाद 17 अक्तूबर को सभी पक्ष समग्र रूप से अपनी-अपनी मांगों के पक्ष में आखिरी दलील पेश करेंगे।
असमंजस का अंत: अयोध्या मामले में इस हफ्ते होने वाली सुनवाई जितने मायने रखती है, उतना ही आने वाला नवंबर माह भी मायने रखता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अंतिम दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट 17 नवंबर तक अपना फैसला सुना सकता है। कारण कि इसी दिन संविधान पीठ का नेतृत्व कर रहे और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंगन गोगोई सेवानिवृत्त हो रहे हैं।