अमित दत्ता/न्यूज़11 भारत
बुंडू/डेस्क:-रांची जिला के 50 किमी दूर बुंडू अंचल कार्यालय का इस तहसील कचहरी तैमारा को जरा गौर से देखिए. चारों और आपको झाड़ियां ही झाड़ियां दिखाई देगी. करोड़ों रुपये खर्च कर इस तहसील कचहरी का निर्माण किया गया था ताकि आदिवासी वनवासी क्षेत्र के लोगों को अंचल कार्य के लिए अंचल कार्यालय का चक्कर ना लगाना पड़े लेकिन यहां तो कहानी ही उल्टी दिखाई दे रही है. बीते पांच वर्ष पूर्व यह कचहरी का निर्माण किया गया था जिसमें कर्मचारी के ठहरने तथा कार्यालय कक्ष का निर्माण किया गया है जिससे आसपास के पंचायतों को सहूलियत होती लेकिन ऐसा नहीं हो पाया कारण जानने का प्रयास किया गया तो कहा गया कि कर्मचारी के अभाव में अंचलाधिकारी बुंडू द्वारा निर्देश ही नहीं गया है. जिसके कारण कर्मचारी तहसील कचहरी में नहीं जाते हैं.
प्रश्न खड़ा होता है कि क्या सप्ताह में एक दिन भी इस भवन में कर्मचारी नहीं बैठ सकते हैं. क्या उनके एक दिन साप्ताहिक बैठने पर लोगों को सहूलियत नहीं होती. आदिवासी क्षेत्र का यह तैमारा पंचायत में 95 प्रतिशत से ज्यादा आदिवासी लोग रहते हैं जिनके लिए अंचल कार्यालय आना जाना परेशानी झेलनी पड़ती है. इस कचहरी में कर्मचारी के रहने से लोगों को परेशानी नहीं होती लेकिन यहां तो आलम यह है कि जिस कचहरी की बात हम और आप कर रहे हैं उसे वर्षों पूर्व ताला लगा कर छोड़ दिया गया है. ना तो वहां कर्मचारी जाते हैं और ना ही कोई चौकीदार. आलम यह है कि गेट के सामने और अंदर झाड़ियों से भर गया है. ना तो आज तक कार्यालय की ओर से इसकी सुधि ली गयी और ना ही इसका साफ सफाई ही करना उचित समझा गया.
भवन निर्माण के बाद उद्घाटन भी नहीं किए अंचलाधिकारी बुंडू झाड़ियां उगकर हो रही है खण्डहर: मुखिया तैमारा
इस मामले में मुखिया प्रियंका देवी से पूछने पर उन्होंने बताया कि अंचलाधिकारी बुंडू को इसके बारे में जानकारी दी गयी थी जिसमें उनके द्वारा यह कहा गया कि कर्मचारी की कमी है कर्मचारी उपलब्ध नहीं करा सकते हैं. मुखिया ने बताया कि इस तहसील कचहरी भवन का आज तक उद्घाटन भी नहीं हुआ है और झाड़ियां से भर गया है. उन्होंने सरकार से मांग किया है कि इस कार्यालय को खंडहर होने से पहले संचालित किया जाए ताकि लोगों को परेशानी ना झेलनी पड़े