अविनाश कुमार
रांची : जेवीएम का बीजेपी में विलय की उलटी गिनती शुरू हो गई है. बाबूलाल मरांडी के विदेश यात्रा से लौटने के बाद विलय की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी. बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ बाबूलाल मरांडी की बातचीत और जेवीएम के अंदर विलय की बढ़ती संभावनाओं ने सूबे की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है.
झारखंड विकास मोर्चा का बीजेपी में विलय... पिछले कई दिनों से इस सवाल पर ना-नुकूर के बाद बाबूलाल मरांडी के एक इशारे ने सब कुछ साफ कर दिया है. विलय के सवाल पर बाबूलाल मरांडी के मन में बीजेपी की प्राथमिकता के बाद अब औपचारिकता का इंतजार सभी को रहेगा. जेवीएम के बीजेपी में विलय की संवैधानिक स्वीकृति को लेकर तमाम तरह की संभावनाओं पर गौर करना जरुरी है. आखिर पार्टी का संविधान और चुनाव आयोग के गाइड लाइन के अनुसार ये कैसे संभव होगा, ये न्यूज़ 11 के चश्मे से समझिये.....
बीजेपी में जेवीएम के विलय का रास्ता
- जेवीएम के भंग कार्यकारिणी का पुनर्गठन
- बाबूलाल मरांडी के स्वदेश वापसी के बाद सबसे पहले होगी जेवीएम कार्यकारिणी की घोषणा
- जेवीएम के नये कार्यकारिणी में होंगे 151 पदाधिकारी
- नई कार्यकारिणी गठन के तुरंत बाद केन्द्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के द्वारा बीजेपी में विलय का प्रस्ताव
- विलय के लिये कार्यकारिणी के पदाधिकारियों की दो तिहाई बहुमत आवश्यक
- कार्यकारिणी के पदाधिकारियों के साथ-साथ दल के विधायक और सांसद का दो तिहाई बहुमत भी अति आवश्यक
- जेवीएम में सांसदों की संख्या शून्य
- जेवीएम में विधायकों की संख्या तीन
- मतलब सबसे पहले जेवीएम के बीजेपी में विलय के लिये कार्यकारिणी के 151 पदाधिकारियों में से दो तिहाई बहुमत यानि की 100 का होना आवश्यक
- जेवीएम के बीजेपी में विलय के सवाल पर बाबूलाल मरांडी को कार्यकारिणी के 100 पदाधिकारियों का समर्थन मिलना आसान
- जेवीएम के 3 विधायकों के दो तिहाई बहुमत पर पेंच
- विलय के समर्थन में दो विधायकों का होना जरूरी
- बाबूलाल मरांडी को छोड़ दोनों विधायकों की आपत्ति के बाद
- प्रदीप यादव और बंधू तिर्की की आपत्ति के बाद केन्द्रीय अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का दांव
- अनुशासनहीनता, पार्टी विरोधी बयान या रुख के बाद जे वी एम से दोनों विधायक प्रदीप यादव और बंधू तिर्की को बाहर का रास्ता
- दोनों विधायकों के जेवीएम से निष्काशन के बाद जेवीएम के बीजेपी में विलय पर मुहर
- मतलब प्रदीप यादव और बंधू तिर्की की पहचान विधानसभा के अंदर निर्दलीय विधायक के तौर पर
- प्रदीप यादव या बंधू तिर्की के दूसरे किसी दल में शामिल होने पर दल - बदल का मामला भी लागू
ये कुछ ऐसी संवैधानिक प्रक्रिया है जो जेवीएम अपने पार्टी के संविधान और चुनाव आयोग के गाइड लाइन को ध्यान में रखते हुए कर सकती है. हालांकि विलय के सवाल पर अब भी बीजेपी के नेता बच बचाकर ही मीडिया के सवालों का जवाब दे रहे है.
जेवीएम के बीजेपी में विलय को लेकर बाबूलाल मरांडी के करीबी या पार्टी के कोई दूसरे नेता भी पत्ता खोलने को तैयार नहीं है. हां ये बात जरूर है कि जो बात शब्दों से बयां नहीं हो रही है वो उनके चेहरों पर झलक रही है. बिना कुछ कहे बस इशारों-इशारों में राजनीति के इस उलट फेर को समझने की जरुरत है.
हर किसी को बाबूलाल मरांडी के स्वदेश वापसी का इंतजार है. हो भी क्यूं नहीं. इस वापसी के साथ बाबूलाल मरांडी की राजनीति में घर वापसी होने वाली है. बहुत सालों से बीजेपी की बी टीम सुनते-सुनते कान पक गये, अब तो बीजेपी की ए टीम की मेजबानी की बारी है.