हर घर नल जल योजना हजारीबाग में ठेकेदारी की भेट चढ़ी, ठेकेदार तंत्र पर हुए हावी, कमीशनखोरी के कारण योजना फेल
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग जिले में अभूतपूर्व पेयजल संकट की स्थिति पैदा हो गई है. ग्रामीण इलाको में नदी-तालाब सूखने लगे है. चापानलों ने पानी उगलना कही कम तो कही एकदम से बंद कर दिया है. कुओं का जलस्तर भी काफी नीचे चला गया है. कई इलाकों में तो स्थिति यह है कि ग्रामीण रात भर जागकर कुओं का जलस्तर बेहतर होने का इंतजार करते और कुओं में कुछ पानी जमा होता तब उसे बाल्टियों से भरते है. हालात ऐसे होते जा रहे है कि अब लोग पीने का पानी भी रात में दूसरों के कुओं से चोरी करने लगे है. पानी चोरी होने से बचाने के लिए अब लोग कुओं के मुहाने पर जाली लगा कर ताला तक लगाने लगे है. चापानालो में भी जगह-जगह जंजीर बांध ताला लगाया जाने लगा है.
झारखंड सरकार ने ग्रामीणों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए हर घर नल जल योजना की शुरुआत की है. मगर हजारीबाग के सभी प्रखंड में यह योजना ठेकेदारी की भेंट चढ़ गई है. मूल ठेकेदारों ने यह काम पेटी कॉन्ट्रैक्ट पर छोटे ठेकेदारों को सौंप दिया है. अधिकारी ठेकेदारों को काम सौंप निश्चित हो अपने वातानुकूलित दफ्तरों में आराम फरमा रहे है. सब कुछ कागजों में हो रहा है, कहा कितना काम हो चुका, काम की प्रगति कितनी है अधिकारी धरातल पर योजना का निरीक्षण नहीं कर रहे है. ठेकेदार ने जो रिपोर्ट दे दी अधिकारी उसी पर यकीन कर फाइलों को आगे बढ़ा रहे और सरकार को कार्य प्रगति प्रतिवेदन भेज रहे है.
जिले में हर घर नल जल योजना का हाल यह है कि क्रमवार किसी भी गांव में ठेकेदार द्वारा कनेक्शन नही दिया जा रहा. ठेकेदार को जहां ज्यादा सहूलियत दिखती उसी गांव में नल का कनेक्शन दिया जा रहा है. उदाहरण के तौर पर जिले का कटकमदाग प्रखंड है, मुख्यालय से सटे कूद गांव में हर घर में कनेक्शन दे दिया गया है. कूद से सटे रेवाली गांव में एक घर में भी कनेक्शन नही दिया गया है. इसके बाद महुदर गांव को भी कनेक्शन नही दिया गया है. इसके बाद मसरातु गांव में कनेक्शन दिया गया है. मसरातु गांव के बाद पसई गांव में भी कुछ-कुछ घरों में नल का कनेक्शन दिया गया है.
मतलब साफ है नल जल योजना पूरी तरह से ठेकेदार के मूड और सहूलियत पर जिले में चल रही है. जल योजना के तहत कई गांवों में सोलर बोरिंग सिस्टम से पानी की आपूर्ति की जा रही है. मगर यह व्यवस्था भी ठेकेदारी और कमीशनखोरी की भेंट चढ़ गई है. नब्बे फीसद बोरिंग फेल हो चुके है. ठेकेदार ने बिल पास करवा लिया, अधिकारियो को कमीशन मिल गया, पर ग्रामीण आज भी पेयजल के एक-एक बूंद के लिए भटक रहे, तड़प रहे, रात जागकर काट रहे है. किसी के जलस्रोत से दो बाल्टी पानी चोरी कर घर लाए जिससे उनकी प्यास बुझ सके.
सरकारी स्कूलों के चापानल के सहारे अहले सुबह पानी जुटा रहे ग्रामीण
जलसंकट से जिले का लगभग हर प्रखंड जूझ रहा है, चाहे वह इचाक, पदमा, कटकमदाग, कटकमसांडी, केरेडारी, बड़कागांव हो या फिर शहर का सदर प्रखंड. सभी जगह ग्रामीण दो बूंद पीने के पानी की समस्या का सामना कर रहे है. ग्रामीण सुबह के चार बजे से ही आसपास के सरकारी चापानलो से पानी की व्यवस्था में जुट जा रहे है. नहाने, कपड़े धोने, बर्तन साफ करने के लिए ग्रामीणों का सहारा सुख रहे नदी-तालाब बन रहे है.