झारखंड » हजारीबागPosted at: अप्रैल 27, 2024 'उज्ज्वला योजना' पर लगा 'ग्रहण', गरीबों की रसोई में फिर जलने लगा 'चूल्हा'
छह सात सौ रुपया खर्च कर गैस भरवाने से बेहतर जंगल से लकड़ी चुन खाना पकाना
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:-पीएम नरेंद्र मोदी की गृहणियों को धुंए से बचाने के लिए शुरू की गई उज्ज्वला योजना पर ग्रहण लग गया है. जिले में वास्तविक गरीबों के घर अब फिर से धुवें वाला लकड़ी का कोयला जलने लगा है क्योंकि वास्तविक गरीब छह सात सौ रुपया प्रति माह खर्च कर गैस सिलेंडर नहीं भरा सकते. मालूम हो की हजारीबाग में उज्ज्वला योजना के गरीब लाभुकों की संख्या एक लाख 73 हजार 293 है. वास्तविकता यह है की इनमे आधे से ज्यादा लाभुक सक्षम और समर्थवान है. बावजूद ऐसे लोगों ने राशन कार्ड बनवाकर उज्ज्वला योजना का लाभ ले रखा है. जो लाभुक वास्तव में गरीब हैं वे लोग अब इस योजना का लाभ लेने में खुद को सक्षम नहीं पा रहे हैं.
कटकमदाग प्रखंड के रेवाली गांव की सावित्री देवी बताती है की परिवार के लिए दो वक्त की रोटी जुटाना उसके लिए मुश्किल है ऐसे में वह गैस सिलेंडर भरवाने के लिए छह सात सौ रुपए का जुगाड कहा से करे. रोटी सब्जी की व्यवस्था किसी तरह कर लेती है. राशन कार्ड से महीने में पांच किलो परिवार के प्रति सदस्य को चावल मिल जाता, जिससे गुजारा हो रहा. किसी के घरों में काम कर बाकी का जुगाड़ कर लेती हूं. रही बात खाना पकाने की तो जंगल से रोज इतनी लड़कियां ले आती हूं की रोज का भोजन बन जाता.
इसी गांव की बबली कुमारी की भी यही व्यथा है. कहती है उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन तो मिल गया है,मगर उसका वहन वह नही कर पा रही है. कहती है एक तो गैस सिलेंडर फटने,आग लगने का डर बना रहता है, दूसरा इतने पैसे नहीं कमा पाती की गैस भरवा सकते. गैस के बजाय जंगल से लकड़ी चुनकर खाना पकाना उन्हें आसान लगता