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रांची/डेस्कः 10 साल पुराने एचईसी में हुए टेंडर घोटाला मामले में एचईसी के पूर्व सीनियर डीजीएम अनिल कुमार सिंह और कोलकाता की कंपनी मेसर्स कंसल्टिंग डिजाइन इंजीनियरिंग सेंट्रल प्रा. लिमिटेड के संचालक पार्थ चक्रवर्ती को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. मामले में सीबीआई उन्हें आरोप साबित नहीं कर सका. पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में सीबीआई की विशेष कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है. आपको बता दें, एचईसी के पूर्व सीनियर डीजीएम पर गलत तरीके से ठेका देने का आरोप लगाया गया था.
दरअसल एचईसी ने 20 जून 2012 को कृष्णशिला प्रोजेक्ट में डिजाइन और इंजीनियरिंग कार्य के लिए निविदा निकली थी. जिसका अनुमानित लागत 2.6 करोड़ रुपए था. निविदा का अंतिम तिथि 6 जुलाई 2012 थी. जिसमें तीन संवेदकों ने बोली लगाई थी. लेकिन बिना किसी वैध कारण के तीनों की बोलियां नहीं खोली गई. अनिल कुमार सिंह ने बेईमानी और धोखाधड़ी से फर्मों द्वारा पहले किए गए कार्य की पात्रता मानदंड को 50 लाख से बदल कर 100 लाख रुपए कर दिया. और अपने लाभ के लिए पसंदीदा फर्म को कार्य दिया. जिससे एचईसी को लाखों रुपए की आर्थिक क्षति हुई थी.