आज़ादी के 77 वर्ष बाद भी इचाक प्रखंड के कैले गांव में सरकारी तंत्र नहीं पहुंच सका बिजली
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:-हजारीबाग जिला मुख्यालय से लगभग 27 किमी और इचाक प्रखंड मुख्यालय से 19 किमी दूर हजारीबाग वन्य जीव आश्रयणी के अन्दर स्थित कैले गांव 77 वर्ष बाद भी बिजली, सड़क, स्कूल जैसे मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. गांव में न अच्छी सड़क है, न बिजली है और न ही शिक्षा की अनुकूल व्यवस्था है. ज्वलंत समस्या बिजली की है, जो ग्रामीणों को आज तक मयस्सर नहीं हुआ. परिणाम स्वरूप कैले गांव के लगभग 50 घरों में बसने वाले 400 की आबादी आज भी ढिबरी युग में जीने को अभिशप्त है. बिजली के बगैर गांव का विकास कार्य अधूरा है. बच्चे पढ़ाई नहीं कर पाते तो किसान कृषि कार्य में बिजली चालित मशीन का उपयोग नहीं कर पाते. जिससे अधिक मेहनत के बावजूद बेहतर पैदावार नहीं हो पाता. गृहणियां भी अपने काम में बिजली चालित मशीन का उपयोग नहीं कर पाती. यहां तक कि मोबाइल और दुसरे इलेक्ट्रिक उपकरण को चार्ज करने के लिए ग्रामीण 8 किमी दूर पदमा अथवा 17 किमी दूर इचाक मोड़ जाते हैं. समस्या से परेशान ग्रामीणों ने मंगलवार को एक आक्रोश रैली निकाली. जहां हाथों में तख्ती लिए ग्रामीण "बिजली नहीं तो वोट नहीं" के नारे लगाते नजर आए. ग्रामीण सोमर महतो, लालकेश्वर महतो, सोहन महतो, रामदेव कुमार महतो, लीलावती देवी, अनीता देवी, बिलासो देवी, जुगुआ देवी, बाबूलाल महतो, महावीर महतो, शानू महतो समेत दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि गांव में चुनाव के समय नेता ग्रामीणों से वोट मांगने जाते हैं. और लोक लुभावन वायदे कर लौट आते हैं. फिर ग्रामीणों की सुध लेने कोई नहीं जाता. उन्होने कहा कि इस चुनाव के पहले अगर गांव में बिजली नहीं आई तो ग्रामीण किसी प्रत्याशी को वोट नहीं देंगे.
इस संबंध में पूछे जाने पर बीडीओ संतोष कुमार गुप्ता ने कहा कि कैले गांव की समस्या को लेकर मुझे अभी तक कोई आवेदन नहीं मिला है. मीडिया के माध्यम से ग्रामीणों की समस्या की जानकारी मिली. मैं गांव जाकर ग्रामीणों से बात करूंगा. डीएफओ से कहकर ग्रामीणों की समस्या का समाधान करने का प्रयास करूंगा. वन आश्रयणी क्षेत्र में इको सेंसिटिव जोन के नियम भी समस्या का एक कारण हो सकता है.
इस संबंध में पूछे जाने पर गोबरबंदा पंचायत के मुखिया रंजित कुमार मेहता ने कहा कि वन विभाग के जटिल नियमों का दंश ग्रामीण झेल रहे हैं. उन्होने बताया कि गांव में बिजली के लिए पोल गाड़े गए, ट्रांसफार्मर भी उपलब्ध हो गया. किंतु वन विभाग से एनओसी नही मिलने के कारण ग्रामीण आज भी अंधेरे में जीने को अभिशप्त है. आश्रयणी क्षेत्र के अन्तर्गत स्थित गांव में विकास कार्य का जिम्मा वन विभाग का होता है. लेकिन वन विभाग के अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं.