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रांची/डेस्कः- वर्तमान में देश में राजनीतिक सरगर्मी जोरों पर है, इसका असर सिर्फ राजनीतिक परिदृश्य में ही नहीं बल्कि अर्थवयवस्था पर भी पूरा असर पड़ने वाला है. सबसे ज्यादा असर गांवों में पड़ने वाला है. विशेषज्ञों के द्वारा इस चुनाव में होने वाले खर्च को इतिहास में अब तक का लड़ा गया सबसे महंगा चुनावों में से बताया जा रहा है. सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज के अध्यक्ष ने बताया कि चुनाव में लगभग 1.35 लाख करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है. व्यवसायिकों का मानना है कि चुनाव में खर्च हुए पैसों का ज्यादातर हिस्सा ग्रामीण इलाकों में जाने वाला है.
एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान लगभग 35 प्रतिशत चुनावी खर्च सिर्फ अभियान औऱ प्रचार में किया गया था. वहीं इसका दूसरा बड़ा हिस्सा विभिन्न माध्यमों से मतदाताओं को मिला था, जिसमें मुफ्त अभियान, उपहारों पर किए गए खर्च शामिल है.
अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा सकारात्मक प्रभाव
उधोग सेक्टर से जुड़े लोगों का मानना है कि चुनाव में होने वाले खर्च से अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक असर पड़ सकता है. वो भी ग्रामीण इलाकों में, भारत के शीर्ष प्लाईबोर्ड निर्माता कंपनी के निदेशक केशव भजंका ने बताया कि आने वाले दो-तीन महीनों में चुनावी खर्च का ग्रामीण खर्च में वृद्धि होगा. भजंका ने कहा कि वे अपने वितरण जाल का विस्तार करने वाले हैं औऱ ग्रामीण क्षेत्रों में ब्रांड की दृश्यता बढ़ाने को लेकर पर्यासरत हैं, ताकि चुनाव के बाद भी वृद्धि का एक बड़ा हिस्सा हासिल किया जा सके. अन्नपूर्णा स्वादिष्ट के प्रबंधक निदेशक श्रीराम बागला का कहना है कि, चुनाव संबंधी खर्चे के मद्देनजर ग्रामीण और अर्धशहरी बाजारों की मांग में सुधार करने की उम्मीद जतायी जा रही है. सरकार के द्वारा ग्रामीण इलाकों में अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने की ओऱ ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है.