प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क: हजारीबाग में उच्च शिक्षा हासिल कर रही युवतियों खासकर मुस्लिम युवतियों लिए नौकरी भी एक चुनावी मुद्दा बन गया है. हजारीबाग में उच्च शिक्षा हासिल कर रही 90 प्रतिशत युवतियों को खासकर मुस्लिम युवतियों के परिजनों ने उन्हें सलाह दी है की बस..! बहुत पढ़ाई हो गई. अब वे या तो नौकरी हासिल करें या फिर शादी कर लाइफ को सेटल कर ले. युवा महिला मतदाता जिनमे मुस्लिम युवतियों की तादाद ज्यादा है इस चुनाव में राजनीति दलों से एक ही मांग कर रही है. उनके लिए आनेवाली सरकार रोजगार, नौकरी का द्वार खोले क्योंकि रोजगार और नौकरी न सिर्फ आजीविका का साधन है बल्कि निजी स्वतंत्रता और सुरक्षा का भी मार्ग प्रशस्त करता है.
वैवाहिक जीवन शुरू करने के लिए घरवालों के भारी दबाव का सामना कर रही खिरगांव की 28 वर्षीय नुसरत पीएचडी कर चुकी है और रोजगार की तलाश में है. उनका कहना है कि उनके लिए रोजगार एक अहम चुनवी मुद्दा है. यदि नौकरी नहीं मिलती है तो घरवाले उसका निकाह करवा देंगे. बिना नौकरी के वह निकाह नहीं करना चाहती है. उन्होंने यह भी कहा कि नौकरी उस जैसी उच्च शिक्षा प्राप्त युवतियों के लिए स्वतंत्रता बल्कि सुरक्षा के लिए भी जरूरी है. अब वह जमाना गया जब उच्च शिक्षा का एकमात्र उद्देश्य था उन जैसी लड़कियों को एक योग्य पति मिल सके. लोकसभा चुनाव में उनके लिए नौकरी एक अहम मुद्दा है.
मुस्लिम बहुल पेलावल के रेहाना भी उन युवतियों में शामिल है जो फिजिक्स से एमए करने के बाद नौकरी की तलाश में है. 30 साल की रेहाना पर भी घरवाले शादी करने का भारी दबाव बना रहे है. उन्होंने कहा कि इस चुनाव में नौकरी उस जैसी पढ़ी-लिखी लकड़ियों के लिए अहम मुद्दा है. एक उच्च शिक्षा प्राप्त छात्रा के तौर पर वो इस चुनाव में रोजगार और महिला सुरक्षा को मुद्दा बनाएंगी. कोई भी राजनीतिक दल महिलाओं को रोजगार देने, सरकारी नौकरी देने की बात नही कर रहा.
एमए करने के बाद नौकरी की तलाश कर रही पीएचडी स्कॉलर झंडा चौक की नेहा भी इस चुनाव में महिलाओं के लिए नौकरी की मांग करती है. उम्र के 32वें पड़ाव से गुजर रही नेहा पर भी शादी का भारी दबाव है. नेहा कहती है कि घर वालो का इतना दबाव है शादी करने के लिए की अब वह घर ही छोड़ने का मन बना रही है. बिना नौकरी हासिल किए वह शादी नहीं करना चाहती है.