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रांची/डेस्कः- ईडी (ED) पर हुए हमले की जांच बंगाल में सीबीआई के द्वारा किया जा रहा है. बंगाल में संदेश खाली में हुए योन शौषण, अवैध रुप से जमीन कब्जाने जैसे आरोपों की भी जांच सीबीआई (CBI) के द्वारा किया जा रहा है. इसी मामले को लेकर बंगाल की ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. बंगाल सरकार का सुप्रीम कोर्ट में कहना है कि सीबीआइ राज्य के पुर्वाअनुमति लिए बिना ही कई मामले को आगे बढ़ा रही है. वहीं केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से साफ कह दिया है कि सीबीआई उसके नियंत्रण में नहीं है.
संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत किया गया है मुकदमा
केन्द्र सरकार के खिलाफ पश्चिम बंगाल की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत एक मुकदमा दायर की है, जिसमें उन्होने आरोप लगाया है कि सीबीआई प्राथमिकी दर्ज कर जांच को आगे बढ़ा रही है जबकि राज्य नें अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में रहते हुए मामले की जांच के लिए दी गई आम सहमति वापस ले लिया है. केन्द्र और राज्य के बीच विवादों के मूल अधिकार क्षेत्र से जुड़ा है अनुच्छेद 131.
केन्द्र सरकार के तरफ से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमुर्ति बीआर गवई औऱ संदीप मेहता की पीठ को साफ कहा कि संविधान के अनुच्छेद 131 सर्वोच्च न्यायालय को प्रदत् सबसे साफ-सुथरा अधिकारों में से एक है. इसका दूरुपयोग की ईजाजत कतई नहीं दी जा सकती है. उन्होने साफ कर दिया कि राज्य के द्वारा दायर वाद में जिन मामलों का भी जिक्र है वे केन्द्र सरकार के द्वारा दर्ज नहीं किए गए हैं.
16 नवंबर 2018 को वापस ले ली थी सहमति
न्यायमुर्ती श्री मेहता ने साफ कहा कि भारत सरकार के द्वारा कोई मामला दर्ज नहीं किया है. ये भी कहा कि सीबीआई भारत सरकार के नियंत्रण में बिल्कुल नहीं है और मामले में सुनवाई भी जारी है. बता दें कि पश्चिम बंगाल की सरकार के द्वारा राज्य में छापे मारने या सीबीआई को जांच के लिए जो भी आम सहमति दी गई थी वो 16 नवंबर 2018 को वापस ले ली थी.