झारखंड » हजारीबागPosted at: मई 04, 2024 हजारीबाग में खनन विभाग और पुलिस की 'कृपा' से दो हजार से ज्यादा पत्थर खदान और क्रशर संचालित
ऊपरी दबाव पड़ने पर सिर्फ कारवाई की औपचारिकता पूरी करती दोनों सरकारी एजेंसियां
प्रशांत शर्मा/न्यूज़11 भारत
हजारीबाग/डेस्क:-हजारीबाग जिले में पिछले दिनों चौपारण में अवैध पत्थर खदान में हुई दुर्घटना और एक मजदूर की मौत ने जिले में पत्थर को लेकर हो रहे गोरखधंधे का खुलासा कर दिया है. सूत्र दावा कर रहे हैं की सिर्फ हजारीबाग जिले में दो हजार से ज्यादा अवैध पत्थर खदान और क्रशर संचालित हैं. यह सब कोई चोरी चुपके नही बल्कि खनन विभाग और पुलिस की कृपा से हो रहा. आम लोगो को भरमाने और ऊपरी दबाव पर दोनो सरकारी एजेंसियों कारवाई की केवल औपचारिकता भर पूरी की जाती है. जानकारी के अनुसार जिले के बरकट्ठा, इचाक, पदमा,टाटीझरिया प्रखंड में पत्थर और क्रशर माफिया का एक संगठित सिंडीकेट पूरे व्यवस्थित तरीके से इस धंधे को संचालित कर रहा है. सरकारी नजर में फिलवक्त मात्र पचास क्रसर ही संचालित हैं उन्होंने बाकायदा लाइसेंस ले रखा है सरकारी आंकड़ों से उलट पत्थर खदानों और क्रशर की संख्या दो हजार से ऊपर बताई जा रही है. ऐसा नहीं है की खनन विभाग को इसकी जानकारी नहीं है. एक एक अवैध पत्थर खदान और क्रशर की सूची खनन विभाग और संबंधित थाने के पास होती है. ये अवैध पत्थर खदान और क्रशर दोनों एजेंसियों की कमाई के प्रमुख स्रोत बताएं जा रहे है, जहा से हर माह इन एजेंसियों के कर्ता धर्ता को मोटी रकम चढ़ावा के रूप में प्राप्त होता है, बदले में एजेंसियां इन पर अपनी कृपा बरसाते रहती है. अवैध पत्थर खदान और क्रसर के कारण न केवल मजदूरों की जान को खतरा बना रहता है बल्कि सरकार को भी हर माह भारी राजस्व का नुकसान हो रहा है. जिले के सैकड़ों एकड़ वन भूमि में अवैध पत्थर खदान और क्रशर का संचालन किया जा रहा है. इचाक और बरकट्ठा प्रखंड पत्थर माफियाओं के लिए सबसे सुरक्षित इलाका है. इचाक प्रखंड के पुरनी, खटखरवा, फुलदाहा, गुदकुवा, सिजुवा, साडम, टेप्सा आदि इलाको में अवैध पत्थर खदान और क्रशर का संचालन सालो से गुपचुप तरीके से किया जा रहा है. टाटी झरिया के मुरुमतु सहित एक दर्जन गांव से सटे वन भूमि में भी कई पत्थर खदान और क्रशर संचालित है. कई बार छोटी मोटी घटनाएं भी होती है जिन्हे संचालक छिपा लेते हैं. इन पर नजर रखने के लिए जिला स्तर पर प्रत्येक माह डीसी स्तर की बैठक भी होती, मगर बैठक सिर्फ कागजी कारवाई किए होती ताकि सरकार की भी नजरो में धूल झोंका जा सके.