नई दिल्ली: निर्भया मामले मे चारो आरोपियों मे से तीन की याचिका खारिज होने के बाद अब चौथे आरोपी पवन गुप्ता की वारदात के वक्त नाबालिग होने की याचिका सूप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है....
पवन के वकील एपी सिंह ने दलील दी कि वारदात के समय पवन नाबालिग था, इसलिए उसे फांसी नहीं दी जा सकती है.
दोषी पवन के वकील की सारी दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा की इसमे कोई नई बात निकल कर सामने नही आई है. इन सब पर पहले भी बाते हो चुकी है 'इस मामले को कितनी बार उठाएंगे? नाबालिग होने वाली बात ट्रायल कोर्ट में क्यों नहीं बताई गई?' कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि अगर आप इस तरह अर्जी दाखिल करते रहेंगे तो यह अंतहीन प्रक्रिया हो जाएगी.
जानकारी के लिए बता दे की......
इससे पहले याचिका पर सुनवाई के दौरान पवन के वकील एपी सिंह ने अपने मुवक्किल को नाबालिग बताते हुए कोर्ट में अंबेडकरनगर जिले के टांडा स्थित गायत्री बाल संस्कारशाला से स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार घटना के वक्त पवन की उम्र 17 साल 1 महीने 27 दिन थी. इस सर्टिफिकेट को साल 2017 में कनविक्शन के बाद हासिल किया गया.
कोर्ट ने इस बाबत सवाल किए तो दोषी के वकील ने दलील दी कि मुकदमे के दौरान जब जरूरत पड़ी तब इसे स्कूल से मंगवाया गया. पवन के वकील ने पुलिस पर बड़ी साजिश के तहत पवन की उम्र संबंधी सच्चाई छिपाने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह दस्तावेज उसकी उम्र की तस्दीक करते हैं. दोषी पवन ने यह भी कहा कि वह तिहाड़ जेल में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में भी शामिल होता था. उसने जेल प्रशासन के उस दावे को गलत बताया, जिसमें यह कहा गया था कि पवन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा नहीं लेता था.
1 फरवरी को होनी है फांसी
बता दें, दिल्ली की एक अदालत ने मामले के चार दोषियों- विनय शर्मा (26), मुकेश कुमार (32), अक्षय कुमार (31) और पवन (25) के खिलाफ एक फरवरी के लिए शुक्रवार (17 जनवरी) को फिर से मृत्यु वारंट जारी किए है. इससे पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुकेश की दया याचिका खारिज कर दी. अन्य तीन दोषियों ने दया याचिका दायर करने के संवैधानिक उपाय का फिलहाल इस्तेमाल नहीं किया है.
क्या है निर्भया रेप केस का पूरा मामला ...
दिल्ली में सात साल पहले 16 दिसंबर की रात को एक नाबालिग समेत छह लोगों ने चलती बस में 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया था और उसे बस से बाहर सड़क के किनारे फेंक दिया था. सिंगापुर में 29 दिसंबर 2012 को एक अस्पताल में पीड़िता की मौत हो गयी थी. मामले में एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी. आरोपियों में से एक नाबालिग था, जिसे किशोर न्याय बोर्ड ने दोषी ठहराया था और तीन साल की सजा के बाद उसे सुधार गृह से रिहा किया गया था. शीर्ष अदालत ने अपने 2017 के फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय और निचली अदालत द्वारा मामले में सुनाई गई फांसी की सजा को बरकरार रखा.