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रांची/डेस्क: हिंदू धर्म में किसी भी तरह का मांगलिक कार्य, शुभ कार्य, या 16 संस्कार करने से पहले शुभ-अशुभ योग देखने की परंपरा होती है. वहीं हर महीने लगने वाले पंचक में किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित होता हैं. बता दें कि सनातन धर्म में पंचक का विशेष महत्व माना गया है. आज से यानि 2 मई से आज से पंचक लग चुका है. जो आने वाले 6 मई तक रहेगा. तो आपको बताते है कि पंचक क्या होता है और इसमें कौन- कौन से कार्य वर्जित होते हैं.
क्या होता हैं पंचक?
बता दें कि पंचक पांच दिन तक रहते हैं. चंद्रमा जब धनिष्ठा नक्षत्र के तीसरे चरण में प्रवेश करता है. इसके बाद जब चंद्रमा पूर्वाभाद्रपद, शतभिषा, रेवती और उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के चार पदों पर गोचर करता है तो इसे ही पंचक कहा जाता है. आसान भाषा में समझा जाए तो जब चंद्रमा कुंभ और मीन राशि में गोचर करता है तो इसे पंचक कहा जाता हैं. पंचक की अवधि को ज्योतिष शास्त्र में बहुत ही अशुभ माना जाता है. माना जाता है कि यदि किसी भी व्यक्ति की मृत्यु पंचक काल में हो जाती है तो उसकी मृत्यु के बाद घर-परिवार के सदस्यों या फिर उस क्षेत्र के लोगों पर भी मृत्यु का संकट मंडराने लगता है.इसलिए पंचक को बहुत ही अशुभ मानते हैं. लेकिन बता दें कि सारे पचक अशुभ नहीं होते हैं. बृहस्तीवार से शुरू होने वाले पंचक दोष रहित होते हैं. क्यूंकि बृहस्तीवार भगवान विष्णु और देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है. पांच कार्यों को छोड़कर इस गुरु पंचक में कोई भी काम किया जा सकता है.
न करें ये काम
1. दक्षिण दिशा में यात्रा करने से बचे.
2. लकड़ी इकट्ठा करना से बचें.
3. अगर किसी इंसान की मृत्यु पंचक में हो जाए तो परिवार के सदस्यों की रक्षा के लिए दाह संस्कार के वक्त बेसन, आटे, और कुश यानि घास से 5 पुतले बनाकर मृतक के साथ उनका भी अंतिम संस्कार करें.
4. पलंग या चारपाई बनवाना की गलती भूलकर भी न करें.
5. शादी विवाह, नामकरण संस्कार और मुंडन आदि कार्यक्रम वर्जित माने जाते हैं.