नई दिल्ली : निर्भया केस के दोषी पवन को सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है. कोर्ट ने पवन के घटना के वक्त नाबालिग होने की याचिका को खारिज कर दिया. सर्वोच्च कोर्ट ने कहा कि याचिका और दलीलों में कुछ भी नया नहीं है. कोर्ट ने माना कि घटना के वक्त पवन बालिग था.
सुनवाई के दौरान पवन के वकील एपी सिंह ने अपने मुवक्किल को नाबालिग बताते हुए कोर्ट में अंबेडकरनगर जिले के टांडा स्थित गायत्री बाल संस्कारशाला से स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट प्रस्तुत किया, जिसके अनुसार घटना के वक्त पवन की उम्र 17 साल 1 महीने 27 दिन थी. इस सर्टिफिकेट को साल 2017 में कनविक्शन के बाद हासिल किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर सवाल किया तो दोषी पवन के वकील ने दलील दी कि मुकदमे के दौरान जब जरूरत पड़ी तब इसे स्कूल से मंगवाया गया. वहीं पवन के वकील ने पुलिस पर भी साजिश का आरोप लगाया. वकील ने कहा कि पुलिस ने साजिश के तहत पवन की उम्र संबंधी सच्चाई को छिपाने का काम किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने पवन के वकील से पूछा कि जब रिव्यू पर सुनवाई हो रही थी, तब उस याचिका में यह सब क्यों नहीं बताया. आप हर बार एक दस्तावेज लेकर हाजिर नहीं हो सकते. कोर्ट ने कहा कि इन दस्तावेजों में कुछ भी नया नहीं है. ये दलीलें और दस्तावेज मजिस्ट्रेट कोर्ट, हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू तक में खारिज हो चुके हैं. निचली अदालत ने 10 जनवरी 2013 को ही यह दावा खारिज कर दिया था कि घटना के वक्त पवन नाबालिग था.