रांची : मगध अम्रपाली प्रोजेक्ट के दौरान टेरर फंडिंग के मामले में एनआईए की जांच का फंदा अब पुलिस अधिकारियों तक भी पहुंच सकता है. वर्ष 2013 में चतरा जिले में शुरू हुए खनन के कार्य के दौरान सबसे पहले विरोध को शांत करने के लिए विस्थापितों के द्वारा 5 गांवों में कमेटी बनाई गई और इसी दौरान उग्रवादियों एक संगठन भी कोयले की कमाई में हिस्सा लेने के लिए तैयार हो गया. इस पूरे प्रकरण का सूत्रधार रहा सुभान मियां.
सुभान मियां है पूरे प्रकरण का सूत्रधार
टेरर फंडिंग में पुलिस अधिकारियों से लेकर उग्रवादियों तक सबके पास पैसा पहुंचाने का जिम्मा और सामंजस्य बैठाने का आरोप सुभान मियां पर ही है. सुभान मियां और बिंदु गंझू ने गिरफ्तारी के बाद कई खुलासे किए हैं और आशंका जताई जा रही है कि अब एनआईए इस बिंदु पर जांच करेगी कि कौन-कौन से पुलिस अधिकारियों की भूमिका टेरर फंडिंग में संदिग्ध रही है. कोयले की काली कमाई में 2013 से 2017 के दौरान चतरा जिले में पोस्टेड किस-किस पदाधिकारी ने हिस्सा लिया है. इतना ही नहीं एनआईए की जांच कई बड़े पुलिस पदाधिकारियों के गिरेबान तक भी पहुंच सकती है.