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रांची/डेस्क: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के OSD के सहायक जहांगीर के घर से 45 करोड़ रुपए बरामद किया है. ED को कार्रवाई में जब्त संपत्ति जब्त करने का अधिकार है. ईडी छापेमारी के दौरान जीतने भी पैसे जब्त करता, उसका पहले आरोपी से सोर्स पूछा जाता है. अगर आरोपी द्वारा सोर्स की जानकारी नहीं प्रदान की जाती है तो ED बरामद पैसों को जब्त कर लेती है. रांची से ED ने अलग-अलग छापेमारी में 45 करोड़ से ज्यादा की नकदी जब्त कर ली है.
जानिए जब्त रकम का ईडी क्या करती है?
प्रिवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के अनुसार किसी आपराधिक गतिविधि के जरिए कमाए गए पैसे मनी लॉन्ड्रिंग या पैसों की हेराफेरी/गबन कर कोई संपत्ति या नकदी जुटाई गई तो वह आपराधिक आय की श्रेणी में आती है. इसकी जांच आयकर विभाग करता है. वहीं अगर कोई संपत्ति या नकदी ED द्वारा जब्त की जाती है तो उसे इसकी जानकारी अथॉरिटी को देनी पड़ती है. कानूनी तौर पर ED के पास पैसा जब्त करने का अधिकार तो है, पर जांच एजेंसी अपने पास जब्त किए गए पैसों को रख नहीं सकती. मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के तहत जब्त किए गए पैसों की गिनती बैंक के अधिकारियों की मौजूदगी में होती है. इस दौरान सीजर मेमो तैयार किया जाता है. इसके बाद जब्त पैसों को ईडी के पर्सनल डिपॉजिट (PD) अकाउंट में जमा कराया जाता है. इसके बाद इस नकदी को केंद्र सरकार के खजाने में डाल दिया जाता है.
हालांकि, जब्त पैसों का इस्तेमाल ईडी, बैंक और न ही सरकार कर सकती है. इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय जब्त किए गए रकम का एक अटैचमेंट ऑर्डर तैयार करती है. फिर अधिकारी को छह महीने के भीतर जब्ती की पुष्टि करनी होती है. वहीं अगर आरोपी का दोष करार कर दिया जाता है तो सारा पैसा केंद्र सरकार की संपत्ति बन जाती है. हालांकि अगर आरोपी मामले में बरी कर दिया जाता है तो जब्त किया गया सारा पैसा उसे वापस लौटा दिया जाता है.