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रांची: वन एवं पर्यावरण विभाग की तरफ से राज्य में वन्य जीवों और फारेस्ट की सघनता को बढ़ाने के लिए एक विस्तृत कार्य योजना तैयार करेगी. झारखंड हाईकोर्ट में भी इसकी रिपोर्ट सौंपी जाएगी. मालूम हो कि मुख्य न्यायाधीश डॉ. रवि रंजन और न्यायमूर्ति एसएन प्रसाद की अदालत ने कल एक मामले में वन विभाग के अधिकारियों को काफी फटकार लगायी थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि वन विभाग में नये पद बढ़े पर जंगल के विकास को लेकर क्या ठोस योजना एंव विजन है या नहीं. ऐसे में जंगल और जानवरों को कैसे बचाया जाए. अदालत इस बात को लेकर खासा नाराज थी कि जब वर्ष 2018 में पलामू टाइगर रिजर्व एरिया में 5 बाघ दिखे थे, तो विभागीय अधिकारियों ने उन्हें ट्रैक क्यों नहीं किया. इस बात का पता क्यों नहीं लगाया कि पीटीआर में कितने मेल बाघ थे और कितने फीमेल. साथ ही आखिर बाघों के पलायन का कारण क्या है. हाईकोर्ट के आदेश पर वन एवं पर्यावरण विभाग की तरफ से एक्शन प्लान तैयार करने को कहा गया है.
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विभाग के प्रधान मुख्य वन संरक्षक एके रस्तोगी ने कहा कि राज्य में पलामू व्याघ्र परियोजना, बिरसा मुंडा जैविक उद्यान, हजारीबाग नेशनल फारेस्ट और अन्य वन्य जीव परियोजनाएं हैं. इनकी बेहतरी और वन्य जीवों के संरक्षण के मामले में सख्त कदम उठाये जायेंगे. साथ ही साथ वन क्षेत्र की सघनता बढ़ाने की दिशा में कार्ययोजना तैयार की जायेगी. हाल ही में वनों का प्रतिशत कम बढ़ने के मामले में भी रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है. उन्होंने कहा कि बाघों और अन्य जानवरों के संरक्षण पर सरकार की तरफ से विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर, उस पर जल्द अमल किया जायेगा. उन्होंने राज्य के सभी वन प्रमंडलों से सघन वन रोपन की विस्तृत रिपोर्ट भी मंगायी है.