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रांची/डेस्कः लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण की वोटिंग बीते 26 अप्रैल को हो चुकी है अब 5 चरणों का मतदान होना बाकी है. चौथे चरण के मतदान के साथ 13 मई से झारखंड में 14 सीटों के लिए वोटिंग होगी. राज्य में चार चरणों में चुनाव होंगे. लेकिन इस बीच प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सहित राज्य के कई जेलों में बंद कैदी और विचाराधीन बंदी अपने मतदान का प्रयोग नहीं कर सकेंगे. बता दें, इस वक्त राज्य में 18000 से अधिक कैदी और विचाराधीन बंदी जेल में है.
जेल से बाहर आते है तो वोट दे सकेंगे हेमंत
बता दें, जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 62 (5) के मुताबिक, जेल में निवारक निरोध अधिनियम ( प्रिवेंटिव डिटेंशन) के तहत कारावास में बंद लोगों के अलावे किसी भी विचाराधीन बंदी या कैदी को वोट देने का अधिकार नहीं है. हालांकि निरोधात्मक कार्रवाई के तहत जेल में बंदी बनाए गए लोग जेल प्रशासन के जरिए आवेदन देते हुए चुनाव में वोट देने की सुविधा हासिल कर सकते हैं. यानी कि जेल में रहने वाले बंदी चुनाव तो लड़ सकते है मगर अपने मताधिकार का प्रयोग नहीं कर सकते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सहित पूर्व निलंबित IAS छवि रंजन और पूजा सिंघल के साथ ही पू्र्व अभियंता वीरेंद्र राम सहित कई चर्चित चेहरे इस वक्त जेल में बंद है जिनपर मतदान से संबंधित ये नियम लागू होगा. लेकिन अगर मतदान तिथि से पहले अगर पूर्व सीएम हेमंत सोरेन या फिर कोई अन्य कैदी जमानत पर जेल से बाहर आते है तो ऐसी स्थिति में वे चुनाव में अपने मताधिकार का प्रयोग कर पाएंगे.
कोर्ट की अनुमति के बाद वोट देते हैं जेल में बंद MP-MLA
जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 62 (5) के अनुसार, राज्य के किसी भी जेल में बंद सांसद या विधायक को आम चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग करने का अधिकार नहीं है. मगर अगर संसद और विधानसभा में पक्ष और विपक्ष या राज्यभा में चुनाव के समय वे कोर्ट की अनुमति के पश्चात अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते है. जैसे कि हम आपको याद दिला दें, इसी अधिकार के तहत कोर्ट ने प्रदेश के पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को जेल में रहते हुए चंपाई सरकार के शक्ति परीक्षण में वोट देने की अनुमित दी थी. जिसके पश्चात हेमंत सोरेन ने विधानसभा जाकर अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.
आपको बता दें, इस संबंध में झारखंड मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के रवि कुमार ने कहा है कि प्रिवेंटिव डिटेंशन के तहत जेल में बंद बंदियों को आवेदन करने पर मतदान (पोस्टल वोट) की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है ऐसे लोगों को वोट दिलवाने की व्यवस्था चुनाव आयोग की तरफ से किया जाएगा. इसके अलावे जेल में बंद किसी भी कैदी या विचाराधीन बंदी को अपने मत का प्रयोग करने का अधिकार नहीं हैं. वहीं राज्य के सेवानिवृत सहायक कारा महानिरीक्षक दीपक विद्यार्थी ने कहा है कि सजावार या कोर्ट में विचाराधीन बंदी को वोट देने का अधिकार नहीं है सिर्फ सुरक्षा के ख्याल से हिरासत में लिए गए (प्रिवेंटिव डिटेंशन) बंदी जिन्हें जिला प्रशासन अपने अधीन रखता है वे ही आवेदन देकर अपने मताधिकार का प्रयोग कर सकते हैं.