चाईबासा : अभी पिछले ही मंगलवार को सारंडा के नोवामुंडी प्रखंड के सुदूरवर्ती किरीबुरू क्षेत्र में प्रशासन ने एक दिन प्रखंड कार्यालय का कैम्प कार्यालय संचालित करने की घोषणा की थी. लेकिन पहले ही हफ्ते के पहले मंगलवार को सरकार अपना वायदा निभाने में फेल हो गयी. नतीजा यह हुआ कि दूर-दराज गांव से सरकारी काम के लिए किरीबुरू कैम्प कार्यालय पहुंचे ग्रामीणों को बैरंग वापस लौटना पड़ा.
जिला प्रशासन के इस रवैये से ग्रामीणों में जहां एक तरफ रोष है, वहीं बदलाव की आस देख रहे ग्रामीणों को मायूसी हाथ लगी है. नोवामुंडी के सीओ या बीडीओ किरीबुरू के कैम्प कार्यालय क्यों नहीं पहुंचे, इसकी कोई जानकारी किसी के पास नहीं है और ना ही अधिकारियों ने इसकी कोई अग्रिम सूचना दी.
ग्रामीणों का कहना है कि नेताओं और अधिकारियों की घोषनाएं हमेशा से हवा-हवाई रही है और इसबार भी यही हुआ. बता दें कि सारंडा के सात सौ पहाड़ियों और घने जंगलों के बीच किरीबुरू बसा है, जहां खनन से सरकार और खनन उद्योगपति मालामाल हो रहे हैं, लेकिन यहां के ग्रामीणों को उनका वाजिब हक़ तक नहीं मिल रहा है.